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जब से हिंदी से मुलाकात हुआ तब से प्यार होने लगा ।💌


कभी भी हिंदी भाषा सुनने को मन करता हे जैसे की गाना और सिनेमा ।।। 
                       हिंदी भाषा थोड़ी भी उपयोग नहीं करते घर पर फिर भी एक अनौखा रिश्ता है । हमारे गांव भारत के  दक्षिण बाग़ में हे । 5th कक्षा में शरू हाथे थे स्कूल में हिंदी पढ़ाई । हमारे पिताजी थोड़े दूर काम करते थे , वहा ज्यादा लोग हिंदी भाषा बोलते थे और वहा पर हम लोग चोटियां मानाने के लिए हर साल  जाते थे । और पुराने ज़माने में हमारे गांव के टीवी में सिर्फ दूरदरशन मिलते थे , तब हर शनिवार और रविवार रात ९:३० हिंदी सिनेमा चालू होजायेगा और हमलोग माँ के साथ नींद छोड़कर बढ़ते थे सिनेमा देखने के लिए , कुछ भी समझ में नहीं आते थे फिर भी माँ को परेशान कर के पूरे देकते थे । 



 हमारे दादीमा को भी उस ज़माने के नायिका शर्मीला टैगोर के बाल बनाने का तारीख पसंत थे :)) । तब से हम हिंदी सिनेमा के अमिताब बचन, कपूर, हेमा मालिनी, श्रीदेवी मिले हुए बड़े बॉलीवुड के प्रशंसकों हो चुके थे |     
                  कुछ साल के बात पिताजी के वहा पढ़ाई  के लिए गए इसी कारण से हिंदी से आसक्ति ज्यथा हुआ । पढ़ाई के बात भी दोस्तों से खत के द्वारा संबरक थे , उस समय मोबाइल फ़ोन ज्यथा नहीं थे , खत थो तीन खागज से काम नहीं थे । लेकिन यह संपर्क जारी रख नहीं सके । काम परिवार सब में उलझ जाये सब । लेकिन फिर भी कभी कभी यह सब बातें ऐसे से ही सोचना हमें अचे लगते है ।                 
          यहाँ पे हमारे मन के बात बताया । इसमें भी गलतियां हो सकते हे क्योकि अभी १५ साल के ऊपर होचुका है हम हिंदी उपयोग नहीं करते । 💓💓💓

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